तर्क क्या है इसकी परिभाषाएं, तर्क के प्रकार, तर्क के सोपान, तर्क का विकास, तर्क की विशेषताएं आदि के बारे में आज हम ठीक से समझेंगे। आइए जानते हैं तर्क के बारे में।
तर्क क्या है? What is Argument in Hindi
तर्क (argument) क्या है? – जब मनुष्य के सुनने कोई समस्या उत्पन्न होती है तो उस समस्या का समाधान करने के लिए वह तार्किक चिंतन करना शुरू करता है। यह चिंतन का सबसे अच्छा रूप है। इस प्रक्रिया में व्यक्ति अपनी वर्तमान स्थिति का निरीक्षण करके भविष्य को समस्याओं का समाधान करता है।
तर्क की परिभाषाएं Definitions of Argument in Hindi
कुछ प्रमुख मनोवैज्ञानिकों के अनुसार तर्क की परिभाषाएं निम्नलिखित है।
गेट्स के अनुसार (according to gates) तर्क की परिभाषा
चिंतन जिसमे किसी समस्या का समाधान करने के लिए पूर्वानुभावो को नवीन रूप और तरीको से पुनः संगठित या सम्मिलित किए जाता है।
मन के अनुसार(according to man) तर्क की परिभाषा
तर्क एक समस्या को हल करने के लिए अतीत के अनुभवों को सम्मिलित रूप से मिलाना है जिसको केवल पिछले समाधान के प्रयोग से हल नहीं किया जा सकता है।
गैरेट के अनुसार(according to gairet) तर्क की परिभाषा
मन में किसी उद्देश्य एवं लक्ष्य को रखकर क्रमानुसार चिंतन करना तर्क है।
तर्क के प्रकार (types of argument in Hindi)
- आगमन तर्क (inductuve argument )
- निगमन तर्क (deductive argument)
- आलोचनात्मक तर्क (criticism argument )
- सदृश्यवाची तर्क (similiar argument)
- अनौपचारिक तर्क (informal Argument)
- औपचारिक तर्क (formal argument )
आगमन तर्क(inductive argument in hindi)
इस तर्क में सर्वप्रथम किसी चीज का पहले उदाहरण प्रस्तुत किया जाता है फिर नियम दिया जाता है।अर्थात यह “तर्क विशिष्ट से सामान्य की ओर चलता है”।
उदाहरण: जैसे कोई गेंद ऊपर से फेकने पर जमीन पर गिरा इसके पीछे एक नियम है “न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम।”
निगमन तर्क (deductive argument in hindi)
इस तर्क में पहले नियम बताया जाता है फिर उदाहरण प्रस्तुत किया जाता है। यह तर्क सामान्य से विशिष्ट की ओर चलता है।
उदाहरण: जैसे हमने नियम बताया कि कोई भी द्रव पदार्थ किसी भी बर्तन या वस्तु में रखने पर उसी के आकार का हो जाता है अर्थात द्रव का आकार निश्चित नही होता है
हमने उदाहरण दिया की पानी को गिलास में रखा तो गिलास के आकार का कटोरी में रखा तो कटोरी के आकार का हो गाया।
आलोचनात्मक तर्क (critisicm argument in hindi )
इसमे किसी समस्या के समाधान हेतु उसके अच्छाई बुराई को जानने के पश्चात उसका आकलन किया जाता है।
जैसे: किसी का साक्षात्कार करने के लिए उसके बुरे पक्ष का भी निरीक्षण किया जाता है।
सदृश्यवाची तर्क (similiar argument in hindi)
किसी चीज या व्यक्ति के बारे में कोई जानकारी प्राप्त कर उससे जैसे ही किसी दूसरे व्यक्ति के बारे में तर्क लगा लेना।
जैसे सभी धातुए विद्युत की कुचालक होती है और हम तांबा ,सोना ,चांदी को सभी को कुचालक मान लेते है।
अनौपचारिक तर्क (nonformal argument in hindi )
इस तर्क में बेवजह की बातो में तर्क लगाया जाता है इसका चिंतन के क्षेत्र में कोई खास महत्व नही है।
औपचारिक तर्क ( formal argument in hindi)
इस में वही बातों में तर्क लगाया जाता जो उचित होती है जिनका जीवन में कोई उपयोग होता है।
जैसे: फल और सब्जियां धोकर खानी चाहिए या फिर प्रतिदिन फल खाना चाहिए क्योंकि यह स्वास्थ के लिए फायदेमंद होता है।
तर्क के सोपान (steps of argument in hindi)
जान ड्यूवी के अनुसार तर्क के 5 सोपान है:
समस्या की उपस्थिति
जब तक हमारे पास समस्याएं नहीं होगी जब तक हम बेवजह तर्क नहीं प्रयोग कर सकते उसके लिए समस्या का होना आवश्यक हैऔर ये तर्क का प्रथम सोपान है।
समस्या की जानकारी
समस्या की जानकारी हो जाने पर यह जानना आवश्यक है की समस्या किस प्रकार की है ?उसका स्वरूप क्या है?किस क्षेत्र से संबंधित है ?
समस्या समाधान के उपाय
एक उपाय का चुनाव
समस्याओं के कई समाधान खोजने के बाद उनमें से किसी एक समाधान का चुनाव करना चाहिए ।जो की सबसे आसान एवं काम समयसीमा की हो जिससे समस्या आसानी से हल की जा सके।
उपाय का प्रयोग
समस्या समाधान का चुनाव करने के बाद उसका सही तरीके से प्रयोग किया जाना चाहिए ये तर्क का अंतिम सोपान है।
तर्क का विकास (development of argument in hindi)
उपयुक्त समय प्रस्तुत करना
जब बालको के सामने कोई समस्या होती है तभी उनको मौका भी मिलता है तर्क लगाने का।अतः शिक्षक को बालको के समक्ष कोई ऐसी समस्या उत्पन्न करनी चाहिए जो उनके बौद्धिक ,मानसिक स्तरों का प्रयोग करते हुए तर्क चिंतन करे थी तर्क के विकास का उत्तम तरीका है।
विषय का गहन अध्ययन
विषयो के गहन अध्ययन से तर्क चिंतन में सहायता मिलती है।
नवीनता का सिद्धांत
बालको के सामने नई नई समस्याओं को प्रस्तुत करना चाहिए जिससे उनको उन्हे खोजने का और तर्क चिंतन करने का अवसर प्राप्त होता रहे।
अन्वेषण प्रवृत्ति का विकास
तार्किक चिंतन के विकास के लिए अन्वेषण प्रवृत्ति का विकास करना आवश्यक है ।
तार्किक चिंतन में बाधक तत्वों का ज्ञान
पूर्व निर्णय ,पूर्व द्वेष, पूर्व धारणा आदि तार्किक चिंतन में बाधक तत्व है इनके दुष्परिणाम से बालको को अवगत कराना चाहिए।
तर्क की विशेषताएं
- तर्क से बालको नवीन नवीन बातो को खोजने के फलस्वरूप उनके ज्ञान को वृद्धि होती है।
- तार्किक चिंतन करते रहने से कभी भी कोई समस्या अति है तो उसका समाधान खोजने में आसानी होती है।
- तार्किक चिंतन करने से मस्तिष्क में बेवजह एवं तर्कबिहीन बातो का समावेश नहीं हो पाता है और मस्तिष्क में सदैव सकारात्मक विचार ही आते है।
- तर्क चिंतन करने से कठिन से कठिन समस्याएं आसानी से हल हो जाती है।
तो दोस्तों हमने आज सीखा कि तर्क क्या है? तर्क के प्रकार कौन कौन से हैं? तर्क की परिभाषाएं क्या क्या हैं? तर्क के सोपान, तर्क का विकास और तर्क की विशेषताएं क्या हैं। उम्मीद है आपको हमारा ये टॉपिक बहुत पसंद आया होगा।