क्या वाकई शकुंतला देवी फ़िल्म देखने लायक है? हिंदी रिव्यु

हाल ही में अमेज़न प्राइम में शकुंतला देवी मूवी रिलीज हुई है। जिसमे लीड रोल में विद्या बालन हैं। ये 2 घण्टे 6 मिनट की फ़िल्म आपको देखनी चाहिए या नही। आप इस आर्टिकल को पढ़कर तय करिये।

क्योंकि सस्पेंस नही है तो जान लेते हैं कैसी है कहानी शकुंतला देवी की?

जब आप शकुंतला देवी फ़िल्म देखेंगे तो आपको एक पल के लिए भी ऐसा नही लगेगा कि ये कोई बायोपिक है।

पता है क्यों?

क्योंकि इस फिल्म को ऐसे बनाया गया है कि ये आपको बोर न करे बल्कि एंटरटेन करे। और आपको अच्छी लगेगी भी।

फ़िल्म प्रेजेंट से पास्ट में जाती है और फिर बीच में पास्ट से फ्यूचर में

फ़िल्म को एकदम सीधे शकुंतला देवी के बचपन से दिखाने की बजाय इसमें पास्ट, प्रेजेंट, फ्यूचर जैसे प्रयोग किये गए हैं।

पर घबराइए मत। आपको कहानी समझ में आती जाएगी।

शकुंतला देवी फ़िल्म की शुरुआत होती है कि शकुंतला देवी की बेटी शकुंतला देवी पर कोई केस कर रही है।

कहानी 2 मिनट के भीतर शकुंतला देवी के बचपन में चली जाती है।

बचपन में ही दिख जाती है शकुंतला देवी की प्रतिभा

शकुंतला देवी के गणित के बड़े से बड़े प्रश्नों को कुछ सेकंड के भीतर हल कर लेने वाली प्रतिभा बचपन से ही दिख जाती है जब वो घनमूल (Cuberoot) निकाल रहे एक विद्यार्थी को उसका उत्तर बता देती है।

शकुंतला देवी बन जाती हैं घर की आय का स्रोत

शकुंतला देवी की इस प्रतिभा को उसके पिता अलग अलग स्कूल ले जाकर दिखाते और पैसे कमाते। इससे घर का खर्च चलता।

हालांकि शकुंतला देवी ने एक दो बार स्कूल में रहकर पढ़ने की इच्छा जताई पर उसको पिता जी ने मना कर दिया कि तुझे क्या ज़रूरत?

बहन के निधन से हो जाती है घर से नफरत

शकुंतला देवी की सबसे करीबी उसकी बहन या उसकी मित्र भी कह सकते हैं वो रहती है और उसकी मृत्यु का इस पर काफी प्रभाव पड़ता है।

Shakuntala Devi film review in hindi,  शकुंतला देवी फ़िल्म समीक्षा
शकुंतला देवी फ़िल्म समीक्षा

बड़े होकर लंदन और फिर कई देशों का सफर

अपने गणित के टैलेंट की वजह से बड़े होकर वो लंदन और तमाम जगहें जाती हैं जहां ये अपना show करती हैं और प्रसिद्ध होती चली जाती हैं। और इधर परिवार से एकदम अलग हो चुकी होती हैं। माँ से तो एकदम नफरत करती हैं ताउम्र।

भारतीय आईएएस से विवाह और फिर बेटी का जन्म

एक भारतीय आईएएस से प्रेम विवाह होता है और बेटी भी पैदा होती है जिसके लिए कुछ दिनों तक शकुंतला देवी अपने गणित के show से दूर रहती हैं। और भारत में बैंगलोर में रहती हैं।

बेटी को लेकर वापस लंदन और अपने show को रवाना व पति से तलाक

शकुंतला देवी अपनी मां जैसी कभी नही बनना चाहती थी जो अपने पति के सामने न बोल सके। क्योंकि शकुंतला देवी एक आत्मनिर्भर औरत थी तो वो कुछ दिनों के बाद अपनी बेटी को भी लंदन लेकर चली जाती हैं क्योंकि उसके बिना अकेलापन उन्हें महसूस होता रहता है।

बेटी का पिता के प्रति लगाव और नॉर्मल जीने की इच्छा

कहते हैं न कि इतिहास ख़ुद को दुहराता है। शकुंतला देवी की बेटी अब अपनी माँ जैसे नही बनना चाहती थी और पिता के पास रहना चाहती थी एक विद्यालय में पढ़ना चाहती थी।

पिता के प्रयास की वजह से वो नॉर्मल ज़िंदगी जीने में सफल हो जाती है और कभी मां नही बनना चाहती क्योंकि उसको अपनी माँ से नफरत है।

शकुंतला देवी की बेटी की पुत्री का जन्म और शकुंतला देवी पर केस ( जहां से फ़िल्म स्टार्ट हुई थी)

न चाहकर भी शकुंतला देवी की बेटी के पुत्री का जन्म हो ही जाता है। उसे खबर लगती है उसकी माँ ने लंदन में उसकी सारी प्रॉपर्टी बेच दी है। वो उनपर केस कर देती है और लंदन जाती है।

Shakuntala Devi film review in hindi,  शकुंतला देवी फ़िल्म समीक्षा
shakuntala devi review hindi में

मां बेटी का मिलन और हैप्पी एंडिंग

वहां जाकर पता लगता है कि शकुंतला देवी अपनी बेटी से मिलने के लिए ऐसा की। दोनों के गिले शिकवे दूर होते हैं और वो अपनी बेटी को वैसे पाती है जैसा जीवन और प्यार वो उसको देना चाहती थी।

और अंत में एक साक्षात्कार में स्पीच देते हुए हैप्पी एंडिंग हो जाती है।

अंतिम शब्द

आप विद्या बालन की एक्टिंग और शकुंतला देवी की इस कहानी के लिए मूवी देख सकते हैं। काफी चीज़ें आर्टिकल में कवर नही हो सकी हैं जो फ़िल्म देखकर ही हो सकती हैं।

आपको ये रिव्यु कैसा लगा? क्या आपका मन हो रहा है इस दिलचस्प मूवी को देखने का? कमेंट्स में बताएं। आर्टिकल को शेयर करें।

Read- Shakuntala Devi Movie Review in English

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क्या वाकई शकुंतला देवी फ़िल्म देखने लायक है? हिंदी रिव्यु

हाल ही में अमेज़न प्राइम में शकुंतला देवी मूवी रिलीज हुई है। जिसमे लीड रोल में विद्या बालन हैं। ये 2 घण्टे 6 मिनट की फ़िल्म आपको देखनी चाहिए या नही। आप इस आर्टिकल को पढ़कर तय करिये।

क्योंकि सस्पेंस नही है तो जान लेते हैं कैसी है कहानी शकुंतला देवी की?

जब आप शकुंतला देवी फ़िल्म देखेंगे तो आपको एक पल के लिए भी ऐसा नही लगेगा कि ये कोई बायोपिक है।

पता है क्यों?

क्योंकि इस फिल्म को ऐसे बनाया गया है कि ये आपको बोर न करे बल्कि एंटरटेन करे। और आपको अच्छी लगेगी भी।

फ़िल्म प्रेजेंट से पास्ट में जाती है और फिर बीच में पास्ट से फ्यूचर में

फ़िल्म को एकदम सीधे शकुंतला देवी के बचपन से दिखाने की बजाय इसमें पास्ट, प्रेजेंट, फ्यूचर जैसे प्रयोग किये गए हैं।

पर घबराइए मत। आपको कहानी समझ में आती जाएगी।

शकुंतला देवी फ़िल्म की शुरुआत होती है कि शकुंतला देवी की बेटी शकुंतला देवी पर कोई केस कर रही है।

कहानी 2 मिनट के भीतर शकुंतला देवी के बचपन में चली जाती है।

बचपन में ही दिख जाती है शकुंतला देवी की प्रतिभा

शकुंतला देवी के गणित के बड़े से बड़े प्रश्नों को कुछ सेकंड के भीतर हल कर लेने वाली प्रतिभा बचपन से ही दिख जाती है जब वो घनमूल (Cuberoot) निकाल रहे एक विद्यार्थी को उसका उत्तर बता देती है।

शकुंतला देवी बन जाती हैं घर की आय का स्रोत

शकुंतला देवी की इस प्रतिभा को उसके पिता अलग अलग स्कूल ले जाकर दिखाते और पैसे कमाते। इससे घर का खर्च चलता।

हालांकि शकुंतला देवी ने एक दो बार स्कूल में रहकर पढ़ने की इच्छा जताई पर उसको पिता जी ने मना कर दिया कि तुझे क्या ज़रूरत?

बहन के निधन से हो जाती है घर से नफरत

शकुंतला देवी की सबसे करीबी उसकी बहन या उसकी मित्र भी कह सकते हैं वो रहती है और उसकी मृत्यु का इस पर काफी प्रभाव पड़ता है।

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बड़े होकर लंदन और फिर कई देशों का सफर

अपने गणित के टैलेंट की वजह से बड़े होकर वो लंदन और तमाम जगहें जाती हैं जहां ये अपना show करती हैं और प्रसिद्ध होती चली जाती हैं। और इधर परिवार से एकदम अलग हो चुकी होती हैं। माँ से तो एकदम नफरत करती हैं ताउम्र।

भारतीय आईएएस से विवाह और फिर बेटी का जन्म

एक भारतीय आईएएस से प्रेम विवाह होता है और बेटी भी पैदा होती है जिसके लिए कुछ दिनों तक शकुंतला देवी अपने गणित के show से दूर रहती हैं। और भारत में बैंगलोर में रहती हैं।

बेटी को लेकर वापस लंदन और अपने show को रवाना व पति से तलाक

शकुंतला देवी अपनी मां जैसी कभी नही बनना चाहती थी जो अपने पति के सामने न बोल सके। क्योंकि शकुंतला देवी एक आत्मनिर्भर औरत थी तो वो कुछ दिनों के बाद अपनी बेटी को भी लंदन लेकर चली जाती हैं क्योंकि उसके बिना अकेलापन उन्हें महसूस होता रहता है।

बेटी का पिता के प्रति लगाव और नॉर्मल जीने की इच्छा

कहते हैं न कि इतिहास ख़ुद को दुहराता है। शकुंतला देवी की बेटी अब अपनी माँ जैसे नही बनना चाहती थी और पिता के पास रहना चाहती थी एक विद्यालय में पढ़ना चाहती थी।

पिता के प्रयास की वजह से वो नॉर्मल ज़िंदगी जीने में सफल हो जाती है और कभी मां नही बनना चाहती क्योंकि उसको अपनी माँ से नफरत है।

शकुंतला देवी की बेटी की पुत्री का जन्म और शकुंतला देवी पर केस ( जहां से फ़िल्म स्टार्ट हुई थी)

न चाहकर भी शकुंतला देवी की बेटी के पुत्री का जन्म हो ही जाता है। उसे खबर लगती है उसकी माँ ने लंदन में उसकी सारी प्रॉपर्टी बेच दी है। वो उनपर केस कर देती है और लंदन जाती है।

Shakuntala Devi film review in hindi,  शकुंतला देवी फ़िल्म समीक्षा
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मां बेटी का मिलन और हैप्पी एंडिंग

वहां जाकर पता लगता है कि शकुंतला देवी अपनी बेटी से मिलने के लिए ऐसा की। दोनों के गिले शिकवे दूर होते हैं और वो अपनी बेटी को वैसे पाती है जैसा जीवन और प्यार वो उसको देना चाहती थी।

और अंत में एक साक्षात्कार में स्पीच देते हुए हैप्पी एंडिंग हो जाती है।

अंतिम शब्द

आप विद्या बालन की एक्टिंग और शकुंतला देवी की इस कहानी के लिए मूवी देख सकते हैं। काफी चीज़ें आर्टिकल में कवर नही हो सकी हैं जो फ़िल्म देखकर ही हो सकती हैं।

आपको ये रिव्यु कैसा लगा? क्या आपका मन हो रहा है इस दिलचस्प मूवी को देखने का? कमेंट्स में बताएं। आर्टिकल को शेयर करें।

Read- Shakuntala Devi Movie Review in English

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