सम्प्रेषण के मुख्य रूप से दो प्रकार होते हैं जिन्हें शाब्दिक और अशाब्दिक सम्प्रेषण के रूप में जाना जाता है। आज के इस Article में हम इन्ही प्रकारों की चर्चा करेंगे।
जैसा कि इसके प्रकारों की चर्चा पहले ही की जा चुकी है। अगर अभी तक आपने संप्रेषण के प्रकार प्रकार विस्तार से नहीं पढ़े तो नीचे दी हुई लिंक से तुरंत पढ़ें।
इसे पढ़ें – सम्प्रेषण के प्रकार – सम्प्रेषण के विविध रूप
सम्प्रेषण के प्रकार में शाब्दिक सम्प्रेषण के प्रकार होते हैं और अशाब्दिक सम्प्रेषण के प्रकार भी।
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शाब्दिक और अशाब्दिक सम्प्रेषण – सम्प्रेषण के प्रकार
सम्प्रेषण के मुख्यतया 2 प्रकार होते हैं-
- शाब्दिक सम्प्रेषण
- अशाब्दिक सम्प्रेषण
शाब्दिक सम्प्रेषण
शाब्दिक सम्प्रेषण, जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है जिसमे शब्दों के माध्यम से सम्प्रेषण अर्थात एक दूसरे के साथ विचारों का आदान प्रदान किया जाता है।
शाब्दिक सम्प्रेषण के प्रकार
शाब्दिक सम्प्रेषण भी 2 प्रकार के होते हैं। –
- मौखिक सम्प्रेषण
- लिखित सम्प्रेषण
मौखिक सम्प्रेषण
इसमें प्रेषक या सन्देश देने वाला व्यक्ति मौखिक रूप से अर्थात बोलकर सन्देश देता है। और प्राप्तकर्ता उसे सुनकर ग्रहण करता है।
मौखिक सम्प्रेषण में जैसे व्याखयान विधि का प्रयोग, या फिर किस्से कहानियां सुनाना। या फिर रेडियो टेलीविजन आदि के माध्यम से सम्प्रेषण किया जाता है।
लिखित सम्प्रेषण
लिखित सम्प्रेषण में, सम्प्रेषण का माध्यम किताबें होती हैं या फिर कोई लिखित सामग्री जैसे अख़बार, मैगजीन आदि होता है।
इस प्रकार के सम्प्रेषण में खर्च कम होता है। और इसमे प्रेषक और ग्राही को पास-पास होने की ज़रूरत नही है। सम्प्रेषण ईमेल, खत, चिट्ठी, sms आदि के माध्यम से हो जाता है।
अशाब्दिक सम्प्रेषण
जैसा कि नाम से इंगित हो रहा है कि अशाब्दिक अर्थात जिसमे शब्द न प्रयोग किया गया हो।
अशाब्दिक सम्प्रेषण में जो सम्प्रेषण होता है उसमें किसी भी प्रकार के शब्दों का प्रयोग नही होता है। अर्थात जो सम्प्रेषण होता है वो ईशारे आदि के माध्यम से होता है।
अशाब्दिक सम्प्रेषण के प्रकार
अशाब्दिक सम्प्रेषण भी 2 प्रकार के होते हैं।
- वाणी या ध्वनि संकेत सम्प्रेषण
- स्पर्श द्वारा सम्प्रेषण
1- वाणी या ध्वनि संकेत सम्प्रेषण
इसमें भावों या विचारों की अभिव्यक्ति छोटे-छोटे समूह बनाकर वाणी या ध्वनि के माध्यम से की जाती है।
इस प्रकार के सम्प्रेषण में हा हा..हूँ…ताली बजाने जैसी आदि ध्वनियों का प्रयोग किया जाता है।
2- स्पर्श द्वारा सम्प्रेषण
स्पर्श के माध्यम से भी सम्प्रेषण होता है। जैसे कोई आपको धक्का देता है तो आप जान जाते हैं कि उसने गलत किया। या फिर कोई गले लगाता है तो आप जान जाते हैं कि ये प्रेम हैं।
इस प्रकार स्पर्श द्वारा भी सम्प्रेषण होता है।
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अशाब्दिक सम्प्रेषण की विशेषताएं
अशाब्दिक सम्प्रेषण की कुछ विशेषताएँ इस प्रकार हैं।
- इसमे शब्दों की आवश्यकता नही होती है।
- अशाब्दिक सम्प्रेषण में व्यक्ति का शिक्षित होना आवश्यक नही है।
- अनपढ़ या जो शिक्षा ग्रहण नही कर पाये हैं उन्हें सम्प्रेषण करने में सहूलियत मिलती है।
- मुसीबत के समय ऐसा सम्प्रेषण काम आता है।
- बिना ध्वनि प्रदूषण किये हम अपनी बात दूसरों तक पहुंचा देते हैं।
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