सम्प्रेषण का अर्थ और परिभाषा जितना महत्वपूर्ण हैं। उतना ही महत्वपूर्ण सम्प्रेषण के प्रकार हैं। सम्प्रेषण के प्रकार में मौखिक संप्रेषण, लिखित सम्प्रेषण या शाब्दिक तथा अशाब्दिक सम्प्रेषण आदि आते हैं।
तो प्रश्न उठता है कि ये सम्प्रेषण कितने प्रकार के होते हैं? हांलाकि सम्प्रेषण के कोई निश्चित प्रकार नही हैं। शाब्दिक सम्प्रेषण और अशाब्दिक सम्प्रेषण ये दो मुख्य प्रकार हैं। इन्ही के अंतर्गत मौखिक संप्रेषण और लिखित सम्प्रेषण भी आते हैं। सम्प्रेषण के अन्य प्रकार भी हैं। आइये जानते हैं सम्प्रेषण के विविध रूपों के बारे में विस्तार से।
सम्प्रेषण के प्रकार – सम्प्रेषण के विविध रूप
सम्प्रेषण के प्रकार की बात की जाए तो सम्प्रेषण के निम्नलिखित प्रकार हैं। जानिए सम्प्रेषण के इन विविध रूपों को।
- लिखित सम्प्रेषण
- मौखिक सम्प्रेषण
- आदर्श प्रदर्शन सम्प्रेषण
- सांकेतिक सम्प्रेषण
- यांत्रिक सम्प्रेषण
लिखित सम्प्रेषण
जब कोई व्यक्ति अपने विचार या सूचनाएं किसी छपी हुई सामग्री या लिखित सामग्री के रूप में व्यक्त करता है। तो उसे लिखित सम्प्रेषण कहते हैं। इसमें अख़बार, मैगजीन, मानचित्र, छपे हुए विज्ञापन आदि सभी चीजें आ जाती हैं। जैसे अभी आप यह आर्टिकल पढ़ रहे हैं यह लिखित सम्प्रेषण में आता है। मैं लिखकर आपतक जानकारी पहुंचा रहा हूँ। I’m giving you knowledge by Written Communication.
मौखिक संप्रेषण (सम्प्रेषण का प्रकार)
जब वक्ता अर्थात बोलने वाला ध्वनि के माध्यम से श्रोता अर्थात सुनने वाले तक अपनी बात पहुंचाता है तो इसे मौखिक संप्रेषण कहते हैं।
जैसे आप अपने मित्रों से कोई जानकारी शेयर करते हैं। या फिर वो आपसे कुछ बताते हैं तो यह सब मौखिक सम्प्रेषण में आता है।
जब कक्षा में शिक्षक व्याख्यान विधि का प्रयोग करते हुए पढ़ाते हैं। और समस्त छात्र ध्यानपूर्वक सुनते रहते हैं। उस वक़्त शिक्षक द्वारा किया गया सम्प्रेषण मौखिक संप्रेषण कहलाता है।
आदर्श प्रदर्शन सम्प्रेषण
इसमें क्या होता है कि पहले से एक योजना बना ली जाती है। कि हमें यह कार्य करके दिखाना है। अर्थात प्रदर्शन द्वारा बताना है कि यह ऐसे होता है।
इसको और अच्छे से समझते हैं। जैसे कोई शिक्षक है। और कोई विद्यार्थी है। Suppose I’m a teacher and You are a Student. तो मैं अपने विद्यार्थी को योगा या व्यायाम सिखाना चाहता हूँ।
मैंने किया क्या कि पहले से योजना बना ली। कि मुझे कल व्यायाम प्रदर्शन करके दिखाना है। और भी उसको देखकर समस्त छात्र भी योग करेंगे।
अब मैं जब योगा या व्यायाम करके दिखाऊंगा तो जो सम्प्रेषण होगा वो आदर्श प्रदर्शन सम्प्रेषण कहलायेगा।
सांकेतिक सम्प्रेषण
जब कोई बात या विचार या कोई भी सूचना अंगों के माध्यम से इशारे द्वारा बताई जाती है। तो उसे सांकेतिक सम्प्रेषण कहते हैं।
जैसे कक्षा में बच्चे शोर मचाते हैं। और टीचर केवल मुंह पर उंगली रखकर इशारा करता है। और बच्चे जान जाते हैं कि वो चुप रहने को कह रहा है। तो यहाँ सांकेतिक सम्प्रेषण प्रयुक्त हुआ।
इसको और ढंग से समझते हैं। जैसे कोई विद्यार्थी खड़ा है तो शिक्षक उसे बैठने का इशारा करता है। या फिर कोई विद्यार्थी दरवाजे पर प्रवेश मांग रहा है। तो टीचर उसको इशारे से अंदर आने को कहता है। यह सब सांकेतिक सम्प्रेषण ही है।
सांकेतिक सम्प्रेषण का एक और उत्तम उदाहरण है। ट्रैफिक पुलिस। ट्रैफिक पुलिस इशारे से ही समस्त लोगों/वाहनों को आने जाने को कहती है। यह सांकेतिक सम्प्रेषण है।
यांत्रिक सम्प्रेषण
दरअसल यांत्रिक सम्प्रेषण सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (Information Communication and Technology) का एक हिस्सा है।
यांत्रिक सम्प्रेषण में किसी यंत्र के माध्यम से सम्प्रेषण किया जाता है। जैसे हम लोग टेलीफोन, मोबाइल, कम्प्यूटर आदि का प्रयोग करते हैं। तो इसके माध्यम से होने वाला सम्प्रेषण यांत्रिक सम्प्रेषण कहलाता है।
जैसे शिक्षक छात्र को रेडियो के माध्यम से कुछ शिक्षा देता है या फिर टेलीविजन या कंप्यूटर द्वारा कोई जानकारी प्रदान करता है। तो यह यांत्रिक सम्प्रेषण के अंतर्गत आता है।
उम्मीद है आपको सम्प्रेषण के प्रकार, मौखिक सम्प्रेषण, लिखित सम्प्रेषण, सांकेतिक, यांत्रिक सम्प्रेषण के बारे में अच्छे से समझ मे आ गया होगा।
और आप सम्प्रेषण के इन विविध रूपों का विस्तार से दिया गया परिचय अपनी स्मृति में सहेज कर रखेंगे।