“प्रत्येक लोकतांत्रिक देश के संविधान द्वारा वहाँ के नागरिकों को कुछ अधिकार प्रदान किये जाते हैं। यह अधिकार मुख्य रूप से नागरिकों की स्वतंत्रता एवं सुरक्षा को सुनिश्चित करते हैं। आजकल की भाग-दौड़ वाली ज़िन्दगी में एक आम नागरिक इन अधिकारों को लेकर पूर्णतया जागरूक नहीं रहता है। जागरूकता के अभाव के कारण ही कई बार ऐसी परिस्थिति आ जाती है जहाँ नागरिकों के अधिकारों का हनन होता है। अतः अपने अधिकारों को लेकर जागरूक रहना हम सभी के लिए आवश्यक है। “
थाने के संदर्भ में कानून द्वारा दिये गए अधिकार
ऐसे ही कुछ मानव अधिकार हमें कानून के संदर्भ में मिले हैं जिनके बारे में जागरूक होना अति आवश्यक है। क्योंकि कभी-कभी ऐसा सुनने में भी आ जाता है कि पुलिस थानों में आपको मिले हुए मानव अधिकारों का हनन होता है। वर्तमान समय में भी अधिकांश लोगों को यह मालूम नही है की उनको कानून में कुछ ऐसे अधिकार मिले है जिनका हनन पुलिस नही कर सकती है। यदि पुलिस द्वारा आपके किसी अधिकार का हनन होता है तो आप इसकी शिकायत मानव अधिकार आयोग या फिर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को भी कर सकते हैं। आइये जानते हैं थानों के संदर्भ में हमको क्या अधिकार प्राप्त है :
1) FIR दर्ज करने से मना नही कर सकती पुलिस – थाने पर आपके द्वारा दी गयी सूचना पर FIR निःशुल्क दर्ज की जाती है तथा पुलिस रेगुलेशन के अनुसार थाने पर आने वाले प्रत्येक पीड़ित व्यक्ति की FIR (प्रथम सूचना रिपोर्ट) को दर्ज करना पुलिस की जिम्मेदारी है और पुलिस इसके लिए, दूसरे थाने की घटना या गलत सूचना बोलकर, मना नहीं कर सकती है। दर्ज की जाने वाली FIR की कॉपी आपको निःशुल्क प्रदान की जाती है और उस पर तत्काल कार्यवाही की जाती है। आपके लिए भी यह आवश्यक है की आप थाने पर दी गयी किसी सूचना या प्रार्थना पत्र की कॉपी अवश्य प्राप्त करें।
2) पुलिस आपको बिना कारण बताये गिरफ्तार नहीं कर सकती – CRP (The Code of Criminal Procedure) दंड प्रक्रिया की धारा 150 के अनुसार पुलिस आपको बिना कारण बताये गिरफ्तार नहीं कर सकती है। अगर आपको गिरफ्तार किया जाता है तो आप पुलिस से उसका कारण पूछ सकते हैं और पुलिस को कारण बताना होगा। गिरफ्तारी की स्थिति में आपको अपना वकील रखने का अधिकार है तथा यह पुलिस का दायित्व है कि वह आपकी गिरफ्तारी की सूचना आपके परिजनों को दें। यह अधिकार सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिया गया है।
3) महिलाओं की गिरफ्तारी – महिलाओं के लिए प्रावधान है की उनकी गिरफ्तारी सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले नही की जा सकती है (कुछ अपवादों को छोड़कर)।
4) पूछताछ को लेकर नियम – आपसे पूछताछ करने वाले पुलिस अधिकारी अपनी वर्दी में होंगे और उनके नेम प्लेट साफ प्रदर्शित होने चाहिए। प्रत्येक पुलिस अधिकारी को पूछताछ के समय अपना पहचान पत्र अवश्य साथ रखना होगा। बच्चों और महिलाओं को पूछताछ हेतु थाने पर नहीं बुलाया जाएगा।
5) मारपीट या अमानवीय व्यवहार – सुप्रीम कोर्ट द्वारा आदेश जारी किया गया है कि पुलिस (थाने पर लाए गए) किसी भी व्यक्ति से अमानवीय व्यवहार नही कर सकती है और ना ही उसके साथ मारपीट कर सकती है।
6) हिरासत का समयकाल – दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 167 के अनुसार पुलिस किसी भी व्यक्ति को 24 घंटे से ज्यादा समय तक के लिए हिरासत में नही रख सकती है। गिरफ्तारी की 24 घंटे के भीतर पुलिस को गिरफ्तार किये गए व्यक्ति को नजदीकी न्यायालय के समक्ष पेश करना जरूरी होता है।
7) थाने में भोजन की व्यवस्था – पुलिस रेगुलेशन के अनुसार किसी गिरफ्तार किये गए व्यक्ति को समय पर भोजन उपलब्ध कराना पुलिस की जिम्मेदारी है और इसके लिए पुलिस को अलग से भत्ता भी मिलता है। पुलिस किसी व्यक्ति को थाने में भूखा नहीं रख सकती है।
8) हथकड़ी लगाना – सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार पुलिस, हिरासत में लिए गए व्यक्ति या विचाराधीन बंदी को एक कारागार से दूसरे कारागार, थाने से न्यायालय में पेश करते समय या न्यायालय से कारागार ले जाते समय हथकड़ी नहीं लगा सकती है इसके लिए पुलिस को न्यायालय से अनुमति लेनी होती है।
9) चिकित्सीय परीक्षण – सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार रिमांड पर लिए गए किसी विचाराधीन बंदी का 48 घंटे के भीतर चिकित्सीय परीक्षण कराना आवश्यक है।
10) पुलिस थाने पर जमानत – दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 436 के अनुसार पुलिस को थाने से ही जमानत देने का अधिकार है। यदि किसी व्यक्ति का अपराध जमानतीय है तो वह अपराध की जमानत पुलिस थाने पर ही ले सकता है।
11) रेप पीड़िता से पूछताछ – सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार थाने में पूछताछ के दौरान आने वाली महिलाओं के साथ पुलिस अभद्र व्यवहार या अश्लील भाषा का प्रयोग नहीं कर सकती है। विशेष रूप से रेप पीड़िता के साथ पुलिस को उच्च कोटि की संवेदनशीलता के साथ व्यवहार करना होगा। सुप्रीम कोर्ट का यह भी आदेश है की रेप पीड़िता की रिपोर्ट महिला पुलिसकर्मी ही लिखेगी और पूछताछ भी महिला पुलिसकर्मी ही करेगी। अगर ऐसा संभव ना हो तो पूछताछ के समय किसी महिला पुलिसकर्मी का मौजूद रहना जरूरी है और साथ ही पीड़िता के परिवार की कोई महिला भी साथ रह सकती है।
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संदर्भ – patrika.com, uphome.gov.in