नैनो कार बनने के पीछे की ये कहानी आप नही जानते होंगे

प्रयास सभी लोग करते हैं पर सफल वही होता हैं जो बुदिमत्ता पूर्ण प्रयास करता हैं छोटा सा उदाहरण लेते हैं आप सभी ने रत्न टाटा जी का नाम तो सुना ही होगा अब एक होता क्या है कि रतन टाटा आप अपनी कार से एक जगह से दूसरी जगह जा रहे थे और बारिश हो रही थी बारिश इतनी ज्यादा तेज थी कि कार में वाइपर का प्रयोग करने के बाद भी कुछ ठीक नही दिख पा रहा । रतन टाटा एक सिग्नल पर खड़े थे वो अचानक से देखते हैं कि उनके बगल में एक एक्टिवा स्कूटी खड़ी है जिसमे एक परिवार सफर कर है जिसमे एक पति पत्नी और उनके दो बच्चे है तो रतन टाटा के मन मे एक खयाल आया कि बताइए मै कार के अंदर हु तो मुझे कितनी दिक्कतें हो रही हैं सफर करने में तो इन्हें कितनी दिक्कतें हो रही होगी । कुछ समय बिता कुछ दिन बीते पर कही ना कहि ये बात अंदर ही अंदर उन्हें परेशान कर रही थी तो उन्होंने क्या किया कि एक मीटिंग बुलाई और कसभी लोग इकट्ठा हुए तो उन्होंने कहा क्यों न हम एक ऐसी अविष्कार करे , क्यों ना हम एक ऐसी रचना करे , क्यों न हम एक ऐसी कर बनाये जिसकी कीमत सिर्फ एक लाख हो । रतन टाटा जी की यह बात सुनकर जितने भी वहां पर लोग थे सब हसने लगे और उन्होंने बहुत सारे कारण दिए कि एक लाख रुपये में एक कार को नही बनाया जा सकता फिर कुछ समय पश्चात रत्न टाटा स्टेज पर आते हैं और बोलते है अभी तक अपने अपना सारा अनुभव और सारी बुदिमत्ता इस बात पे लगा दी कि कैसे इस कार को नही बना सकते अब क्यों न हम वही बुदिमत्ता वही अनुभव इस बात पे लगाए की इस कार को कैसे बनाया जा सकता हैं और उनकी इसी एक लाइन ने इंडिया को एक ऐसी रचना दी जिसका नाम है नैनो । इंडिया की सबसे कम बजट की कार ।
तो इस से यही पता चलता हैं कि प्रयास सभी लोग करते है पर सफल वही लोग होते है जो बुदिमत्ता पूर्ण प्रयास करते है ।।
ऐसी ही रोचक मोटिवेशनल कहानियों को पढ़ने के लिए आप हमारी साइट में जरूर फिर से आये धन्यवाद ।।

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