बहुत से उच्च जाति के लोग सफल न होने पर सिस्टम को दोष देते हैं,आरक्षण को जिम्मेदार मानते हैं,पर वो लोग एक बार असफल होने के बाद दोबारा दुगुना परिश्रम नही करना चाहते। कब तक हम सिस्टम को दोष देंगे?
दूसरों को दोष देने की बजाय अच्छा होगा कि हम फिर से शुरुआत करें,सकारात्मकता भरें खुद मे,उठ खड़े हों, तब जीत हमारी होगी।
अगर हमे सफल होना है तो हमे ये भूलना होगा कि आज का क्षण ही सब कुछ है आज ही जी लो,आज ही हर काम कर लो,आज ही मज़े कर लो। अगर आज मज़े कर लेंगे तो कल नही कर सकते और अपने लक्ष्य तक भी नही पहुंच सकते। हमे वास्तविकता समझनी होगी,हमे भविष्य के बारे मे सोचना होगा कि 4-5 साल बाद हम खुद को किस मुकाम पर देखना चाहते हैं। और हमे छोटे-छोटे गोल्स बनाकर उन्हें पूरा करना होगा। सीधे बड़ा गोल नही बनाना। बड़ा गोल दिमाग मे रखना है पर उस तक पहुंचने के लिए छोटे-छोटे गोल्स बनाने हैं। ये गोल्स आपको एक सिस्टमेटिक ढंग से आपके लक्ष्य तक पहुंचा देंगे फिर आप और किसी को ब्लेम नही करेंगे बल्कि औरों के लिए प्रेरणा बनेंगे।