आज के इस आर्टिकल में हम आपको एक बेहतरीन होली पर निबंध हिंदी में (Holi Essay in Hindi) प्रोवाइड करेंगे। यह निबंध (Essay on Holi in Hindi) आप किसी भी क्लास में प्रयोग कर सकते हैं। किसी भी निबंध प्रतियोगिता में आप होली का यह निबंध लिख सकते हैं। या इससे आईडिया ले सकते हैं।
आज का जमाना ऐसा है कि होली पर निबंध अंग्रेजी (Essay on Holi) में तो मिल जाएगा। पर होली पर निबंध हिंदी में (Holi Essay in Hindi) में मिलना मुश्किल होता है।
होली पर हिंदी निबंध की रूप रेखा कुछ इस प्रकार है- प्रस्तावना, होली कब मनाते हैं, होली मनाने के कारण, होली कैसे मनाते हैं, उपसंहार।
होली पर निबंध हिंदी में: Holi Essay in Hindi
होली पर निबंध (Essay on Holi Hindi) कैसे लिखें, आइये यहां से सीखते हैं।
प्रस्तावना (होली का)
होली त्यौहार हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। जो कि बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। होली अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग ढंग से मनाई जाती है। पर इसका उद्देश्य एक ही होता है। यह त्यौहार भले ही किसी एक धर्म से जुड़ा हो परन्तु इसे कोई और न मनाए ऐसी कोई पाबंदी नही है।
होली कब मनाते हैं?
होली फाल्गुन मास की पूर्णमासी को मनाई जाती है। अमूमन यह अंग्रेजी कैलेंडर के मार्च के महीने में ही पड़ती है।
होली क्यों मनाते हैं? होली मनाने का कारण
होली मनाने के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं। पर सब कथाओं में से मुख्य पौराणिक कथा हिरण्यकश्यप की मानी जाती है। और होली मनाने के पीछे इसी को कारण माना जाता है।
होली मनाने के पीछे की पौराणिक कथा (हिरण्यकश्यप प्रहलाद व होलिका की कहानी)
कहा जाता है कि प्राचीन समय मे कोई हिरण्यकश्यप नाम का एक असुर हुआ करता है। पर इसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था।
हिरण्यकश्यप खुद को ही सर्वश्रेष्ठ भगवान मानता था। अतः वह अपने पुत्र से क्रोधित होकर उसे मरवाना चाहता था।
इत्तेफाक से हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को यह वरदान मिला था कि उसे आग नही जला सकती है। और आग के न जलाने की कुछ शर्तें भी थीं।
हिरण्यकश्यप में प्रपंच रचा। योजना बनाई। और बुआ होलिका के हाथों भतीजे प्रहलाद को मरवाना चाहा।
पूरी योजना से होलिका आग में बैठी और प्रहलाद को गोद मे ले लिया।
पर ईश्वर की कृपा से आग में न जलने की सारी शर्ते वह पूरी न कर सकी। और परिणाम विपरीत आया।
होलिका स्वयं आग में जल गई और प्रहलाद को खरोंच भी न आई।
इस प्रकार भगवान विष्णु के सच्चे भक्त की जीत हुई। होलिका दहन हो गया।
बस इसी होलिका को प्रतीक बनाकर हर वर्ष दहन किया जाता है। और बुराई पर अच्छाई की जीत का सन्देश दिया जाता है।
होली कैसे मनाते हैं? मनाने का ढंग
होली मुख्य रूप से रंगों और पकवानों का त्यौहार है। इसमे रंग खेलने वाले दिन के पहले वाले दिन रात्रि में होलिका दहन होता है।
फिर होलिका दहन के अगले दिन रंग, गुलाल अबीर आदि खेला व लगाया जाता है।
पकवान जैसे- पापड़, चिप्स, गुझिया सेव आदि, कुछ दिनों पहले ही बनना शुरू हो जाता है।
लोग एक दूसरे के घर जाकर होली मिलते हैं, रंग लगाते हैं गुझिया पापड़ आदि पकवान खाते हैं।
उपसंहार (होली का)
यह त्यौहार हमे बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है। साथ ही आपसी मेल जोल और एकता को बढ़ावा देता है। इस त्यौहार को सही तरीके से मनाया जाए तो बहुत अच्छा है। परंतु कुछ लोग भांग, धतूरा, मदिरा आदि मादक पदार्थों का करके इस दिन को खराब कर देते हैं। और वो होली का मतलब ही नशा समझते हैं। जो कि एक कुरीति है। इससे बचना चाहिए।
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होली पर निबंध: Holi Essay in Hindi
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