Holi Essay in Hindi, Essay on Holi in Hindi, होली पर निबंध, Short Paragraph on Holi in Hindi.
हम आपको यहां होली पर निबंध (Holi Essay in Hindi) प्रोवाइड कर रहे हैं। आप इस Essay on Holi in Hindi का प्रयोग कहीं भी कर सकते हैं। हमने Holi Essay in Hindi का Short Paragraph भी दिया है।
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पहले Short में जानते हैं होली पर निबंध के बारे में- (Short Paragraph on Holi in Hindi)
Short Paragraph on Holi in Hindi
Short Paragraph on Holi in Hindi – Holi Essay in Hindi
Short Paragraph on Holi in Hindi- रंगों का त्यौहार होली हमारे देश मे बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। दीपावली के त्यौहार का हमारे भारतवर्ष में जितना महत्व है,उतना ही महत्व होली के त्यौहार का भी है। होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस दिन लोग एक दूसरे के यहाँ होली मिलने जाते हैं।और गले लगाकर होली की बधाई भी देते हैं।
इस त्यौहार में अबीर,गुलाल व विभिन्न प्रकार के रंग भी खेले जाते हैं। लोग आपस मे मस्तक में अबीर लगाते हैं। घरों में विभिन्न तरह के पकवान भी बनते हैं।जैसे- पापड़, गुझिया, चिप्स आदि। लोग एक दूसरे के यहाँ जाते हैं और उनका स्वागत अबीर गुलाल और पकवानों से होता है। (Short Paragraph on Holi in hindi – Essay on Holi in Hindi)
यह त्योहार एक प्रमुख त्योहार है। जिसका उद्देश्य प्रेम और भाईचारे की भावना को बढ़ाना है। यह त्यौहार हमे एकता का संदेश देता है।
होली पर निबंध – Holi Essay in Hindi | Essay on Holi in Hindi
प्रस्तावना
खुशियों का मौका फिर आया इस बार है, देखो फिर से आया होली का त्यौहार है।
– quotation by- crazyprakhar
इस त्यौहार के आते ही चहुँओर रौनक बढ़ सी जाती है, होली की तैयारी बहुत ही मन से और हर्षोल्लास से की जाती है। होली के त्यौहार के पीछे की कहानी और इसके मनाने का तरीका दोनों ही अदभुत हैं। इसकी पृष्ठभूमि ऐसी होने की वजह से इस त्यौहार में चार चांद लग जाता है।
होली की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
ऐसा पावन त्यौहार मनाये जाने के पीछे इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है। इसमे 3 प्रमुख किरदार हैं एक का नाम हिरण्यकश्यप है एक का नाम प्रहलाद है और एक होलिका है। हर किरदार का अपना महत्व है पर जैसे किसी फ़िल्म में एक हीरो होता है और एक या उससे अधिक विलन होते हैं ठीक वैसे ही इस कहानी में या यूँ कहें इस ऐतिहासिक कहानी में हिरण्यकश्यप और होलिका विलन हैं और प्रहलाद हीरो है।
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क्योंकि प्रह्लाद भगवान विष्णु का सच्चा भक्त था इस वजह से हिरण्यकश्यप उससे नफरत करता था। प्रहलाद हिरण्यकश्यप को फूटी आंखों नही सुहाता था। क्योंकि हिरण्यकश्यप ख़ुद को भगवान मानता था और प्रहलाद उसकी भक्ति न करके अन्य किसी की भक्ति कर रहा था जो कि उसे गंवारा न हुआ। और उसने अपनी बहन होलिका को कहा कि बहन तुम्हे तो आग में न जलने का वरदान प्राप्त है न तो क्यों न तुम मेरे पुत्र प्रहलाद को आग में जला दो। (होली पर निबंध)
होलिका ने वैसा ही किया और प्रहलाद को अपने गोद मे लेकर बैठ गयी आग में। भगवान का सच्चा भक्त होने की वजह से प्रहलाद को तो कुछ नही हुआ पर होलिका जलकर भस्म हो गयी। एक बार फिर अच्छाई की जीत हुई,एक बार फिर सच्चाई की जीत हुई।
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इस ऐतिहासिक कहानी से कुछ सीख मिली जो कि निम्न हैं-
- कभी किसी का बुरा या अहित नही सोचना चाहिए।
- सच परेशान हो सकता है पर अंत मे जीत सच की होती है।
- ईश्वरीय भक्ति का अपना अलग ही महत्व होता है,बहुत से काम सच्ची आस्था के बल पर ही हो जाते हैं।
- कभी अपनी शक्तियों पर घमण्ड नही करना चाहिए। होलिका और हिरण्यकश्यप दोनों को ख़ुद पे घमण्ड था और परिणाम पता ही है सबको।
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होलिका दहन कार्यक्रम
एक खुला स्थान देखकर, जहाँ बिजली के तार न हों और आसपास नुकसान होने वाली चीज़ें न हों वहाँ पर विभिन्न प्रकार की घास फूस और सूखी पत्तियां और पेड़ की सूखी टहनियां आदि आग से जलने वाली सामग्री अधिक मात्रा में भंडारित की जाती हैं। (होली पर निबंध)
यह काम 15 दिन या एक महीने पहले से प्रारंभ हो जाता है और जगह-जगह हर मुहल्ले में होता है। और इसके लिए बहुत से लोग चंदा भी इकट्ठा करते हैं जो ये काम करते हैं। और आपसी सहयोग से होलिका दहन सम्पन्न होता है जिसे बहुत से लोग छोटी होली की भी संज्ञा देते हैं।
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होलिका दहन के बाद प्रसाद बांटा जाता है और अबीर गुलाल लगाया जाता है। और इसी में बहुत से लोग उपलों की बनी माला आपस मे बदलते हैं और जो पिछली बार बदली गयी थी उसे आग में झोंक देते हैं। और थोड़ी सी आग घर पे ले आते हैं जिससे बाकी सदस्य जो नही शामिल हो पाए होलिका दहन में वो भी हो सकें। इस प्रकार यह कार्यक्रम सम्पन्न होता है।
रंगों का खेलना और ठंडाई का सेवन
होलिका दहन के अगले दिन बच्चे बड़े सभी मिलकर रंग खेलते हैं, गुलाल लगाते हैं और ठंडाई भी पीते हैं। लोगों के घर मे गुझिया पापड़ चिप्स आदि बनती हैं वो भी खाया जाता है। और स्वादिष्ट पकवान भी बनते हैं। सब लोग एक दूसरे के घर भी होली मिलने जाते हैं और उनका स्वागत होता है।
कुछ दोष
इस त्यौहार की जहाँ ढेरों अच्छाइयां हैं वहीं कुछ दोष भी हैं जो निम्नलिखित हैं-
- बहुत से पुरुष अपने मित्र की पत्नियों को रंग लगा देते हैं जिससे कभी-कभी लड़ाई झगड़े या आपसी मन मुटाव हो जाता है।
- ठंडाई के नाम पर भांग जैसे नशीले पदार्थ लोग पीकर नशे में ओछी हरकते कर देते हैं। बाद में शर्मिंदगी होती है। (Essay on Holi in Hindi, Holi essay in Hindi, होली पर निबंध, होली निबंध।)
- कुछ लोग जिन्हें रंग नही पसन्द उनके साथ अन्य लोग जबर्दस्ती करके रंग लगा देते हैं जो कि एक गलत बात है।
- बहुत से लोग हानिकारक रंगों का इस्तेमाल करते हैं जिससे त्वचा ख़राब हो जाती है और वो जानबूझकर इसका प्रयोग करते हैं,यह भी एक दोष है इस त्यौहार का। (होली पर निबंध)
- छोटे बच्चे खेल-खेल में रंग की जगह पिचकारियों को एक दूसरे को ऊपर फेंकने लग जाते हैं। जिससे शारीरिक क्षति भी हो जाती है। चोंट भी लग जाती है।
उपसंहार
खुशियों का त्यौहार है होली,याद करो इसके पीछे का कारण। क्यों दिखाते हो नशा करके अभद्रता,अब तो कर लो अच्छाई धारण।।
– Holi Quotation by- Crazyprakhar
होली के त्यौहार को प्रसन्नतापूर्वक अच्छे ढंग से मनाना चाहिए। और कोई भी ऐसी हरकत नही करना चाहिए जिससे इस त्यौहार पर लांछन लगे। त्यौहारों का उद्देश्य होता है खुशियां लाना,आपसी प्रेम और भाईचारा बढ़ाना न कि दुश्मनी और लड़ाई-झगड़े करवाना। त्यौहार को बदनाम न करें,अपनी स्वार्थ सिद्धि न करें।
Holi Essay in Hindi -होली पर निबंध
तो दोस्तों यह था Holi Essay in Hindi (होली पर निबंध हिंदी में) उम्मीद है आपको Essay on Holi in Hindi, Short Paragraph on Holi in Hindi पसन्द आया होगा। कमेंट करके बताइये क्या कमी लगी या क्या पसन्द आया।
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