आज 2 अक्टूबर को गांधी जयन्ती है। यह गांधी जी की 150 वीं जयंती है। जिसे विशेष रूप से मनाया जा रहा है। स्कूलों में भी शिक्षकों और छात्रों के बीच गांधी जी को लेकर उत्साह दिखाई पड़ रहा है।
Gandhi jayanti Speech,Essay, Slogan, Quotes in Hindi
स्कूल में पढ़ रहे छात्रों और पढ़ा रहे शिक्षकों को गांधी जयंती पर भाषण (speech in hindi) बोलने की ज़रूरत पड़ती है। और वो इसमे उम्दा भाषण बोलना चाहते हैं।
अगर आपको गांधी जंयती पर भाषण, निबन्ध, कोट्स, स्लोगन आदि की ज़रूरत है तो आप हमारे इस ब्लॉग से ले सकते हैं।
जब शुरू की दांडी यात्रा || क्यों चल पड़े साथ इतने लोग?
1930 में गांधी जी ने दांडी यात्रा शुरू की। गांधी जी के व्यक्तित्व और सुविचारों की वजह से पूरे देश के लोग गांधी जी के साथ जुड़ते चले गए।
गांधी जयंती पर निबन्ध, भाषण हिंदी में || Gandhi jayanti Speech, essay in Hindi
आप हमारे इस पोस्ट में बताए गए पॉइंट्स को लेकर गांधी जी पर निबन्ध, भाषण आदि लिख सकते हैं। Gandhi jayanti par speech, essay hindi में लिखने में आपको इस ब्लॉग से बहुत अच्छे पॉइंट्स मिल जाएंगे।
गांधी जी को महात्मा की उपाधि और राष्ट्रपिता की उपाधि किसने दी थी?
देशभर में गांधीजी के सफल आंदोलनों के बाद उनकी ख्याति पूरे देश में फैल गई थी। जिसे देखते हुए रवीन्द्रनाथ टैगोर ने गांधी जी को “महात्मा” की उपाधि दी थी। और सुभाष चंद्र बोस ने इनको राष्ट्रपिता की उपाधि दी। बाद में पूरा देश गांधी जी को महात्मा और राष्ट्रपिता के नाम सेे भी जानने लगा।
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गांधी जी के सुविचार
गांधी जी के विचारों से बाहर दूसरे देश तक के लोग भी प्रभावित थे। सत्य अहिंसा जैसी बातें जो केवल कागजी लगती थीं, गांधी जी ने इनको व्यवहारिक बनाया। “करो या मरो” का नारा गांधीजी ने दिया। गांधी जी ने दलितों और महिलाओं की शिक्षा के लिए ठोस कदम उठाएं।
खिलाफत आंदोलन क्या था?
यह आंदोलन भारतीय मुसलमानों द्वारा किया गया था। गांधी जी ने इस आंदोलन में मुस्लिमों का साथ देकर, भारत मे होने वाले हिन्दू मुस्लिम दंगों को कुछ समय के टाल दिया था।
गांधी जयंती को अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है
कैसी भी परिस्थिति आ जाये पर गांधी जी ने अपने अहिंसा के रास्ते को कभी नही छोड़ा। गांधी जी कहते थे कि कोई एक गाल पर तमाचा मारे तो उसके सामने दूसरा गाल भी कर दो। गांधी जयंती को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज पूरे विश्व मे जहाँ चारों ओर हिंसा और अशांति का माहौल है वहाँ गांधी जी के विचारों को बड़ी आवश्यकता महसूस होती है। पूरा विश्व भारत देश मे जन्मे इस शख्श को ऐसी परिस्थितियों में याद करता है। धन्य हैं हम भारतवासी, जहां बापू ने जन्म लिया।
क्या है गांधी जी के 3 बन्दरों का सिद्धांत
गांधी जी ने तीन बन्दरों के माध्यम से हमे बहुत बड़ा संदेश दिया। गांधी जी ने बताया ये तीन बन्दर जिनमे से एक ने अपने मुंह को बंद किया हुआ है वो कहता है कि बुरा मत बोलो। दूसरे बन्दर ने अपनी आंखों को बंद किया है जो इस बात का प्रतीक है कि बुरा मत देखो। और तीसरा बन्दर जिसने अपने कानों को बंद कर रखा है वो बताता है कि बुरा मत सुनों। इस प्रकार गांधी जी ने तीन बन्दरों के माध्यम से बहुत बड़ी बात सिखा दी है।
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आइंस्टाइन भी थे बापू से खुश, जानिए क्या कहा था आइंस्टाइन ने बापू के बारे में?
आइंस्टाइन भी बापू के मुरीद थे। वो गांधी जी को फॉलो करते थे। यहां तक कि आइंस्टाइन ने बापू के बारे में कह डाला था कि – “आने वाली नस्लों को मुश्किल से ही विश्वास होगा कि हाड़ मांस से बना कोई ऐसा व्यक्ति भी धरती पर आया था।”
चंपारण आंदोलन
गांधी जी ने बिहार के चंपारण में पहला सत्याग्रह 1917-18 में किया था। जिसको चंपारण आंदोलन के रूप में जाना गया।
चंपारण आंदोलन होने के कारण क्या थे?
उस समय अंग्रेजों और उनके चापलूस जमीदारों द्वारा गरीब किसानों एवं भूमिहीन मजदूरों को खाद्यान्न की जगह नील व अन्य नगदी फसल की खेती के लिए मजबूर किया जा रहा था।
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गांधी जयंती पर निबन्ध और भाषण की ऐसे कर सकते हैं तैयारी
दोस्तों यहाँ गांधी जी और उनके जीवन से जुड़े ढेरों महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं जिनका आप बेहतर ढंग से प्रयोग करके निबन्ध लिख सकते हैं और साथ ही साथ गांधी जयंती पर भाषण भी दे सकते हैं।
दक्षिण अफ्रीका से आखिर वापस आकर देश सेवा क्यों की बापू ने?
गांधी जी को रंगभेद के बारे में पहले उतना नही पता था जब तक कि उनके साथ ऐसी घटना नही घटी। हुआ यूं कि एक बार रंगभेद के चलते गांधी जी को ट्रेन की बोगी से निकाल फेंक दिया गया। तब गांधी जी को अपने देश की भी भयावह स्थिति का पता चला और वो सब कुछ छोड़ छाड़ के वापस अपने देश चले आये।
असहयोग आंदोलन कब हुआ और क्यों हुआ?
असहयोग आंदोलन 1 अगस्त 1920 को शुरू हुआ था। इसमे भारतीयों ने अंग्रेजों का सहयोग करना छोड़ दिया था। रॉलेट सत्याग्रह की सफलता के बाद यह आंदोलन हुआ था। इसमे बहुत से लोग गांधी जी के समर्थन में उतरे। लोगों ने अपने काम छोड़ दिये। स्कूल, सरकारी दफ्तर आदि लोगों ने छोड़ दिया और आंदोलन में गांधी जी के साथ आ गए।