मेडिकल साइंस में डायबिटीज को खासतौर से एक लाइफस्टाइल डिसॉर्डर बीमारी का नाम दिया गया है। इसका मतलब यह है कि, ये बीमारी किसी को भी तब होती है जब उनका खानपान और लाइफस्टाइल संतुलित नहीं रहता है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से आप डायबिटीज के विभिन्न प्रकार और उसके लक्षणों के बारे में जान पाएंगे। सबसे पहले आपको बता दें कि, डायबिटीज जिसे हिंदी में मधुमेह कहते हैं विशेष रूप से तीन प्रकार के होते हैं और तीनों के लक्षण और कारण एक दूसरे से काफी अलग होते हैं।
डायबिटीज के विभिन्न प्रकार और लक्षण
टाइप 1 डायबिटीज
डायबिटीज के इस प्रकार को काफी खतरनाक माना जाता है। इस प्रकार के डायबिटीज में शरीर में इंसुलीन बनना बिल्कुल बंद हो जाता है और इसका प्रभाव आपके इम्मून सिस्टम पर भी काफी ज्यादा होता है। इम्मून सिस्टम के कमजोर होने से टाइप 1 डायबिटीज के मरीज अन्य विभिन्न बीमारियों से भी आये दिन ग्रसित होते रहते हैं।
डायबिटीज के इस प्रकार में विशेष रूप से विशेष रूप से इंसुलीन बनने वाली कोशिकाएं ही नष्ट हो जाती हैं। इसके मरीजों को नियमित रूप से इंसुलीन का इंजेक्शन लेना पड़ता है।
टाइप 1 डायबिटीज की समस्या सबसे ज्यादा छोटे बच्चों में देखी गई है। यदि समय रहते इसका उपचार न किया जाए तो इसके मरीजों को आंख, हार्ट और किडनी से जुड़ी बीमारियां भी हो सकती हैं।
इस तरह के डायबिटीज शिकार लोगों को यदि चोट लग जाए तो उनके घाव जल्दी भरते नहीं हैं और यहीं इसका एक प्रमुख लक्षण भी है।
टाइप 2 डायबिटीज
डायबिटीज का ये प्रकार सबसे आम है। टाइप 2 डायबिटीज की समस्या किसी को भी तब होती है जब आपका खानपान अनियमित हो और आप मोटापे के शिकार हों। यानि कि, ये पूरी तरह से एक लाइफस्टाइल डिसऑर्डर बीमारी है।
यदि आपका लाइफस्टाइल ठीक नहीं है तो आप कभी भी इसकी चपेट में आ सकते हैं। टाइप 2 डायबिटीज की समस्या तब उत्पन्न होती है जब आपका शरीर इंसुलीन को पर्याप्त मात्रा में नहीं बनाता है।
इस प्रकार का डायबिटीज विशेष रूप से वयस्कों में सबसे ज्यादा होता है। हालांकि आजकल युवा पीढ़ी भी इस बीमारी से ग्रसित होने लगी है। इसके शुरूआती लक्षण के तौर पर भूख ज्यादा लगना, बार-बार प्यास लगना और पेशाब आना। अगर आपको भी इस प्रकार के लक्षण अपने अंदर दिखाई दें तो तत्काल रूप से डायबिटीज की जांच जरूर करवा लें।
टाइप 2 डायबिटीज से निजात पाने के लिए एक हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना बेहद जरूरी है। इसके लिए आप रोजाना एक्सरसाइज करें, अपने खान-पान पर कंट्रोल रखें, बाहर का स्पाइसी और ऑयली खाने से बचें। चीनी को कुछ समय से गुडबाय कह दें, यदि आप वाकई में इस डायबिटीज से निजात पाना चाहते हैं तो आपको एक स्ट्रिक्ट लाइफस्टाइल अपनाना होगा।
जेस्टेशनल डायबिटीज
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में होने वाले डायबिटीज को जेस्टेशनल डायबिटीज या गर्भकालीन डायबिटीज के नाम से जाना जाता है।
इस डायबिटीज के बारे में बहुत से लोगों को आज भी मालूम नहीं है। प्रेग्नेंसी के दौरान यदि महिलाएं अपने वजन और खानपान का ध्यान न रखें तो वो जेस्टेशनल डायबिटीज की शिकार हो सकती हैं।
प्रेग्नेंसी की अवस्था को एक बेहद नाजुक अवस्था माना जाता है। इस दौरान यदि ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में न रखा जाए तो इस मधुमेह की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
इस दौरान महिलाओं के शरीर में बहुत से हार्मोनल बदलाव आते हैं, इस वजह से उनका वजन भी बढ़ता है।
वजन बढ़ना और शरीर में ब्लड शुगर का सामान्य से अधिक होना जेस्टेशनल डायबिटीज का कारण बन सकते हैं। हालांकि कुछ महिलाओं में शिशु को जन्म देने के बाद मधुमेह की ये समस्या अपने आप खत्म हो जाती है लेकिन कुछ महिलाओं में प्रेग्नेंसी के बाद भी ब्लड शुगर हाई रहता है और वो बाद में टाइप 2 डायबिटीज के शिकार भी हो सकती हैं।
इसलिए प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को अपनी सेहत को लेकर विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। अगर प्रेग्नेंसी में महिला को शुगर की बीमारी हो जाए तो इसका असर होने वाले बच्चे पर भी पड़ सकता है। इसके लक्षण भी टाइप 2 डायबिटीज के लक्षणों के समान ही होते हैं।
तो दोस्तों यह थी डायबिटीज से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी। हमने यहाँ डायबिटीज के बारे में पढ़ा। डायबिटीज यानी मधुमेह के प्रकार के बारे में विस्तार से जाना। इस आर्टिकल को लिखकर सबमिट किया है Hello Swasthya के लेखक ने। आप भी कुछ अच्छा यूनिक लिख लेते हैं तो लिखकर हमे मेल करिये।