आगमन निगमन विधि: आगमन निगमन विधि बाल मनोविज्ञान की महत्वपूर्ण शिक्षण विधियों में से एक है। जब हम बालक को पढ़ाते हैं तो किसी एक विधि की सहायता से उसको पढ़ाना संभव नहीं हो पाता है। विषय के अनुसार शिक्षण विधियां बदलनी पड़ती हैं।
आगमन निगमन विधि क्या है? संक्षिप्त में इसका उत्तर एक लाइन में यह दिया जा सकता है कि उदाहरण की सहायता से किसी नियम को निकालना आगमन विधि है जबकि इसके विपरीत पहले नियम बताकर फिर उदाहरण बताना निगमन विधि है।
आगमन निगमन विधि
आगमन तार्किकता का वह रूप है जिसमे विशेष पदार्थों या प्रक्रियाओं के अध्ययन से एक सामान्य नियम निकाला जाता है।
बच्चा रचनात्मक क्रियाकलाप आदि के माध्यम से सीखकर उस स्थिति तक जा सकता है जहां से वह किसी नियम या सिद्धांत को प्रतीक के रूप में निरूपित कर सके।
उदाहरण: विद्यार्थियों से कहा जाए कि कुछ त्रिभुज बनाएं और फिर प्रत्येक त्रिभुज के कोण मापे और उनका जोड़ करें।
आगमन विधि
- यह विधि विशेष से सामान्य की ओर या मूर्त से अमूर्त की ओर अग्रसर होती है।
- यह बच्चों की जरूरतों और रुचियों का ध्यान रखती है।
- यह एक विकासात्मक प्रक्रिया है।
- यह खोज को प्रोत्साहित करती है।
निगमन विधि
- यह सामान्य से विशेष की ओर या अमूर्त से मूर्त की ओर अग्रसर होती है।
- इनमें बच्चों को तथ्य और नियम पहले बता दिए जाते हैं।
- बच्चों को नियम देने की वजह से वे उसकी प्रकृति नही समझ पाते।
- रटने पर जोर दिया जाता है।
- इस विधि को बिना किसी तर्क के ज्यों का त्यों स्वीकार कर लिया जाता है।
फाइनल वर्ड: आगमन और निगमन विधि
दोस्तों आपने आगमन और निगमन विधि को बड़ी ही सरलता पूर्वक समझ लिया होगा। अगर आप बाल मनोविज्ञान को आसानी से समझना चाहते हैं तो हमारी कैटेगरी बाल मनोविज्ञान पर जाएं।
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