अधिगम के वक्र || Learning Curve in Hindi- अधिगम का मतलब होता है सीखना। और कभी हम सीख पाते हैं, कभी नही सीख पाते हैं।
अधिगम या सीखने के वक्र क्या करते हैं? ये सीखने की मात्रा, उन्नति तथा अवनति दर्शाते हैं। इस आर्टिकल में अधिगम वक्र के बारे में पढ़ेंगे व समझेंगे।
Adhigam ke vakra, Learning Curve in Hindi, Convex Learning Curve in Hindi, Concave Learning Curve in Hindi, S Type Curve in Hindi
अधिगम के वक्र – परिभाषा Learning Curve in Hindi – Definitions
आइये सबसे पहले इसकी परिभाषा जानते हैं। –
स्किनर के अनुसार अधिगम वक्र की परिभाषा
अधिगम का वक्र किसी दी हुई क्रिया में उन्नति या अवनति का वरगांकित कागज पर विवरण है।
एलेक्जेंडर के अनुसार अधिगम वक्र की परिभाषा
जब आंकड़ों को वरगांकित कागज पर अंकित किया जाता है तो वक्र बन जाता है।
गेट्स के अनुसार अधिगम के वक्र की परिभाषा
अधिगम का वक्र सीखने की क्रिया से होने वाली गति और प्रगति को व्यक्त करता है।
रैमर्स के अनुसार अधिगम का वक्र की परिभाषा
सीखने का वक्र किसी दी हुई क्रिया की आंशिक रूप से सीखने की पद्धति है।
Adhigam ke vakra, Learning Curve in Hindi, Convex Learning Curve in Hindi, Concave Learning Curve in Hindi, S Type Curve in Hindi
अधिगम वक्र के प्रकार || सीखने के वक्र के प्रकार || Types of Learning Curves in Hindi
अधिगम के वक्र या सीखने के वक्र के 4 प्रकार हैं। There are 4 types of Learning Curves –
1- सरल रेखीय या समान निष्पादन वक्र
सीखने का ये वक्र सीखने की प्रगति लगातार बढ़ती हुई व्यक्त करता है।
2- ह्रास निष्पादन वक्र || उन्नतोदर वक्र || ऋणात्मक वक्र || Convex Curve
इस प्रकार के अधिगम वक्र में सीखने की गति प्रारम्भ में तेज फिर धीरे-धीरे मन्द होती जाती है। जैसे- कला वाले विषयों में यही वक्र बनते हैं। इसको सबसे लोकप्रिय वक्र माना जाता है।
3- धनात्मक वक्र || नतोदर वक्र || वर्धमान वक्र || Concave Curve
इस प्रकार के वक्र में प्रारम्भ में सीखने की गति धीमी होती है। फिर तीव्र होती जाती है। गणित,विज्ञान जैसे विषयों में यही वक्र बनते हैं।
4- मिश्रित वक्र || अवग्रहास वक्र || S Type Curve
इसमे सीखने की गति तीव्र होती है फिर मन्द होती है, फिर तीव्र फिर मन्द। यह वक्र S अक्षर जैसा आकार ले लेता है।
Adhigam ke vakra, Learning Curve in Hindi, Convex Learning Curve in Hindi, Concave Learning Curve in Hindi, S Type Curve in Hindi
अधिगम के वक्र की विशेषताएं || सीखने के वक्र की विशेषताएं
अधिगम वक्र की विशेषताओं को इस प्रकार समझा सकता है। –
1- स्टर्ट व ओकडन के अनुसार – उन्नति की गति एक समान नही होती है। प्रारम्भ में उन्नति की गति अंतिम अवस्था की तुलना में अधिक होती है।
2- गेट्स महोदय कहते हैं – प्रारम्भ में उन्नति की गति तीव्र रहती है। परंतु यह सार्वभौमिक नही है।
3- स्किनर सीखने के वक्र की विशेषता बताते हुए कहते हैं कि सीखने में उतार चढ़ाव आता है परंतु सीखने की प्रगति एक निश्चित दिशा में होती है।
सीखने के वक्र या अधिगम वक्र के उतार चढ़ाव के कारण
अधिगम के वक्र के उतार चढ़ाव के लिए निम्न कारण उत्तरदायी हैं।-
- उत्तेजना- जब व्यक्ति उत्तेजित होता है तो तीव्र गति से सीखता है और नतोदर वक्र बन जाता है।
- थकान- जब व्यक्ति या बच्चा थका हुआ होता है तो सीखने की गति मन्द हो जाती है। और वक्र उन्नतोदर बनता है। अर्थात ऋणात्मक वक्र बनता है।
- प्रोत्साहन- जब व्यक्ति को प्रोत्साहन मिलता है तो सीखने की गति तीव्र हो जाती है। और नतोदर या धनात्मक वक्र बनता है।
- सन्तुलन- इस अवस्था मे वक्र एक समान बनता है।
- अभ्यास- अभ्यास से सीखने की गति बढ़ती जाती है। और वक्र बढ़ता जाता है।
Adhigam ke vakra, Learning Curve in Hindi, Convex Learning Curve in Hindi, Concave Learning Curve in Hindi, S Type Curve in Hindi
अधिगम के वक्र को प्रभावित करने वाले कारक
अधिगम या सीखने के वक्र को निम्न कारक प्रभावित करते हैं। –
- पूर्वानुभव
- अभ्यास
- सरल से कठिन की ओर
- कौशल
- उत्साह
उपयोगी लिंक्स-
• अधिगम के नियम || थार्नडाइक के अधिगम के नियम
• Download All CTET Study Materials in Hindi PDF
• Download All UPTET Notes PDF in Hindi
• Download CTET EVS NCERT Notes in Hindi
• Download TET Environment Notes PDF in Hindi