14 सितम्बर हिंदी दिवस पर भाषण ( 14 September Hindi Diwas Speech in Hindi ) आपको हमारे आज के इस आर्टिकल में मिलेगा। दोस्तों भाषण कहना भी एक कला है। यदि आप भाषण सिर्फ देख के कह देंगे या पढ़ देंगे या ऐसे ही बोल देंगे तो उसका कोई ख़ास प्रभाव नही पड़ेगा। और जब हिंदी दिवस पर भाषण बोलना हो तो और भी अधिक प्रभावी ढंग से कहना ज़रूरी है।
हमारे आज के हिंदी दिवस के भाषण को आप पढ़ तो लेंगे पर अगर इसे आप सुनना भी चाहते हैं तो हमारे Youtube चैनल पर आपको जाना होगा। सुनने पर आपको पता चलेगा कि कैसे बोलना है इसको।
तो आइए पढ़ते हैं हिंदी दिवस पर भाषण-
14 सितम्बर हिंदी दिवस पर भाषण – 14 September Hindi Diwas Speech in Hindi
आदरणीय प्रधानाचार्य जी व समस्त शिक्षक एवं मेरे सहपाठियों!
आज 14 सितम्बर को हिंदी दिवस अपने देश मे बड़े गर्व के साथ मनाया जाता है। पर जब हिंदी बोलने की बात आती है तो लोग गर्व नही महसूस करते। आज हर इंसान अपने बच्चे को कान्वेंट स्कूल में पढ़ाना चाहता है। फिर भी हम चाहते हैं कि हिंदी का अस्तित्व बना रहे।
दोस्तों हम एक ऐसे देश से आते हैं जहाँ हिंदी राजभाषा है। और हमे अपनी राजभाषा पर गर्व करना ही चाहिए। उत्तरभारत और बहुत से राज्यों में हिंदी बहुतायत बोली जाती है। और हम कोई भी भाषा सीखने या समझने के लिए भी हिंदी का सहारा ही लेते हैं।
चेतन भगत जैसे लेखक भी हिंदी भाषा को माँ समान मानते हैं। दोस्तों हमे अपनी हिंदी भाषा की इज़्ज़त पहले खुद करनी होगी तब ही हम दूसरों से अपेक्षा रख सकते हैं। वरना हमारा कोई हक नही कि हम ख़ुद वो बात न मानें और सोचें कि दूसरे उस बात को मानें। ऐसा नही होता।
हमे हिंदी दूसरों को भी सिखाना चाहिए । बहुत से राज्य या देश के लोग जो हिंदी नही बोल पाते उनकी मदद करना होगा उनको हिंदी सिखाना होगा। सही मायने में यही हिंदी दिवस को सार्थक करेगा।
मशहूर व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई कहते हैं कि – “हिंदी दिवस के दिन हिंदी बोलने वाले दूसरे हिंदी बोलने वालों से कहते हैं कि हिंदी में बोलना चाहिए।”
यह बात सच भी है। जो हिंदी बोलता है वही बस हिंदी दिवस मना रहा और मनाने की बातें कर रहा। बाकी जो नही बोलता उसको इससे फर्क ही नही पड़ता कि आज हिंदी दिवस है। उसके लिए तो 14 September is a Hindi Day, just a Day for People who speak Hindi.
तो दोस्तों बस मैं इतना ही कहना चाहता हूँ कि आने वाली पीढ़ी के लिए हिंदी कहीं डायनासोर जैसे विलुप्त होकर सिर्फ सुनी सुनाई बात न रह जाये।
जाते-जाते इन 2 पंक्तियों के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देता हूँ-
कर रहे अनुकरण सबका, पर अपना कल्चर बनाये रखना है।
भाषा सीख लो कितनी भी पर हिंदी को बचाये रखना है।
हिंदी दिवस स्लोगन
जय हिंद..!!!
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