【UPTET】संस्कृत के प्रमुख कवि और उनकी रचनाये :संस्कृत साहित्य में वैसे तो बहुत सारी रचनाएं है। पर UPTET के लिए संस्कृत रचनाये HMJ आपके लिए स्पेशली लेकर आये है। जिसमे आपको कुछ ही रचनाओं से आपको संस्कृत साहित्य की रचनाओं के बारे में पूर्णतःजानकारी मिल जाएगी। और आप संस्कृत साहित्य के प्रसिद्धि कवियों और उनकी रचनाओं से बनने वाले प्रश्नों में सभी प्रश्नों के उत्तर अच्छे से दे पाएंगे।
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संस्कृत के प्रमुख कवि और उनकी रचनाये-
संस्कृत के प्रमुख कवियों की सूची में कालिदास का नाम सर्वोपरि है। इनकी बहुत सी प्रसिद्धि रचनाये है। इनका श्रेष्ठम रस ” श्रृंगार रस” और अलंकार ” उपमा अलंकार” है।इनको निम्नलिखित उपाधियां प्रदान की गयी है – उपमा सम्राट , रघुकर, दीपशिखा, कविता कामिनी विलास, कविकुलगुरु
कालिदास के खड्यकाव्य –
ऋतुसंहार – इसमें 6 सर्ग हैं। ऋतुओं का वर्णन है।
मेघदूतम– गीतिकाव्य , संदेश काव्यम्, दूतकाव्यम आदि नामों से जाना जााता है ।इसमें 144 श्लोक हैं इसमें यक्ष द्वारा मेघो को दूत बनाकर विरह वेदना का वर्णन किया गया है।
कालिदास के महाकाव्य–
कुमारसम्भवम् – इसमें 17 सर्ग है। शिव और पार्वती प्रेम का वर्णन किया गया है।
राघुवंशमहकव्यम– इसमें 19 सर्ग है। राम के वंशजों का वर्णन किया गया और और इच्छाकुवंशी राजाओं का वर्णन है।
कालिदास के नाटक-
मलविकागनमित्रम, विक्रमोवर्सगीयम, अभिज्ञान शाकुंतलम्
Note– कालिदास के तीन रचनाओं को मिलाकर एक नया नाम दिया गया है जिसे लघुत्रयी कहते हैं- मेघदूतम कुमारसंभवम् ,रघुवंश महाकाव्यम
महाकवि भारवि
इनकी रचना किरातार्जुनीय है। इसमें 18 सर्ग है। और वीर रस है। इसका स्रोत महाभारत का वन पर्व है। जिसमें श्लोकों की संख्या 1030 है।
महाकवि माघ
इनकी रचना शिशुपालवधम है।इसमें सर्गो की संख्या 20है। नायक श्री कृष्ण है वीर रस का प्रयोग किया गया है।श्लोकों की संख्या 1650 है।इसका स्रोत महाभारत का सभा पर्व है। यह संस्कृत साहित्य का सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य है।
महाकवि श्रीहर्ष
इनकी रचना नैषधीयचरितम् है ।इसमें सर्ग 22 है।श्रृंगार रस का प्रयोग किया गया है।राजा नल तथा दमयंती की प्रेम कथा का वर्णन है। इसका स्रोत महाभारत का 1 पर्व है।
महाकवि पाणिनि
इनकी रचना अष्टाध्याई है इसमें अध्याय 8 है। शोलोको की संख्या 3995है। यह माहेश्वर सूत्र के जनक है संस्कृत व्याकरण के भी जनक मारे जाते हैं।
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UPTET के लिए संस्कृत रचनाये और उनके कवि
संस्कृत साहित्य की रचनाएं | कवियों के नाम |
मृच्छकटिकम् | शूद्रक |
बुध चरितम | अश्वघोष |
मुद्राराक्षस | विशाखदत्त |
देवीचंद्रगुप्तम | विशाखदत्त |
नाग नंदनम | हर्षवर्धन |
प्रियदर्शिका | हर्षवर्धन |
कथासरित्सागर | सोमदेव |
वासवदत्ता | सुगंध |
काव्यप्रकाशः | आचार्य मम्मट |
साहित्य दर्पण | आचार्य विश्वनाथ |
राज तरंगिणी | कलहड़ |
शक्ति शतकम | शीलहड़ |
कीर्ति कौमुदी | सोमेश्वर |
पंचतंत्र | विष्णु शर्मा |
गीत गोविंद | जयदेव |
नाट्यशास्त्र | भरतमुनि |
वेणीसहारः | भट्टनरायण |
बृहद कथा मंजरी | गुणाढ्य |
हितोपदेशः | नारायण पंडित |
शिवराजविजयः | अंबिकादत्त व्यास |
ब्रम्ह सिद्धि | मंडन मिश्रा |
हरि विजयम | रत्नाकर |
रत्नाकर गंगा लहरी | पंडितराज जगन्नाथ |
पंडितराज जगन्नाथ कल्पसूत्र | भद्रबाहु |
पंच सिद्धांतिका | वारा अमीर |
सौंदर्य अलंकार | आचार्य वामन |
जातक माला | ऑल शूज |
हंस दूतम | रूप गोस्वामी |
मुदित मदालसा | गोकुलनाथ |
चंद्रलेखा | रूद्र दास |
कुंदमाला | दिग्वाण |
कण्ठा भरण | क्षेमेन्द्र |
ययाचिचरितम | सी आर देवधर |
जानकी हरण | कुमार दास |
स्वप्न दशानन | भी भट्ट |
शब्द अनुशासन | हेमचंद्र |
शिव शब्द अनुशासन | शिव स्वामी |
मुक्तिबोध व्याकरणम | वोपदेव |
रूपा अवतार | धर्म कीर्ति |
व्याकरण सिद्धांत | विश्वेश्वर पांडेय |
शाश्वत व्याकरणम | अनुभूति स्वरूपाचार्य |
कातंत्र व्याकरणम | सर्वो वर्मा |
लघु मंजूषा | नागेश भट्ट |
परम लघु मंजूषा | नागेश भट्ट |
व्याकरण सिद्धांत मंजूषा | नागेश भट्ट |
शब्देन्दू शेखर | नागेश भट्ट |
सरस्वती कंठ आवरण | भोज देव |
प्रौढ़ मनोरमा | भट्टोज दीक्षित |
सिद्धांत कौमुदी | भट्टोज दीक्षित |
रूपमाला | विमल सरस्वती |
संस्कृत साहित्य में वर्णित प्रमुख त्रयीसंग्रह
लघुत्रयी – रघुवंशमहाकाव्यम् कुमारसंभवम् ,मेघदूतम्।
वृहदत्रयी – किरातार्जुनीयम् ,शिशुपालवधम् ,नैषधीयचरितम्।
गद्यवृहदत्रयी– कादंबरी, दशकुमारचरितम् ,वास दत्ता।
उपजीव्यग्रंथत्रयी – रामायण ,महाभारत, गीता।
पाषाणत्रयी – किरातार्जुनीयम् का प्रथम सर्ग , किरातार्जुनीयम् द्वितीय सर्ग ,किरातार्जुनीयम् का तृतीय सर्ग।
मुनित्रयी – पतंजलि ,पाणिनि ,कात्यायन।
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