मैक्डूगल के 14 संवेग और मूल प्रवृत्तियाँ – जब जब संवेगों के प्रकार की बात होती है तब तब मैक्डूगल की बात होती है। मैक्डूगल ने संवेग के 14 प्रकार दिए जो कि सर्वमान्य हैं।

मैक्डूगल के 14 संवेग और मूल प्रवृत्तियाँ – संवेगों के प्रकार
मैक्डूगल के 14 संवेग और मूल प्रवृत्तियाँ इस प्रकार हैं।
| क्रम सं• | संवेग | मूल प्रवृत्तियाँ |
|---|---|---|
| 1 | भय | पलायन |
| 2 | क्रोध | युयुत्सा |
| 3 | घृणा | निवृत्ति |
| 4 | आश्चर्य | जिज्ञासा |
| 5 | वात्सल्य | शिशु रक्षा |
| 6 | विषाद | शरणागति |
| 7 | संरचनात्मक भावना | रचनात्मक |
| 8 | स्वामित्व की भावना | संचय प्रवृत्ति |
| 9 | एकाकीपन | सामूहिकता |
| 10 | कामुकता | काम (sex) |
| 11 | श्रेष्ठता की भावना | आत्मगौरव |
| 12 | आत्महीनता | दैन्य |
| 13 | भूख | भोजन अन्वेषण |
| 14 | आमोद | हास |
संवेग का अर्थ एवं परिभाषा
संवेग का अर्थ होता है एक उत्तेजित अवस्था।
वुडवर्थ ने संवेग को परिभाषित करते हुए कहा भी है कि- "संवेग व्यक्ति की उत्तेजित दशा है।"
संवेग का अर्थ और परिभाषा विस्तार से पढ़ने के लिए इस आर्टिकल को पढ़ें
संवेगात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारक
संवेगात्मक विकास को निम्न कारक प्रभावित करते हैं।
- परिवक्वता
- शारीरिक विकास और स्वास्थ्य
- बुद्धि
- सीखना
- विद्यालयी वातावरण
- साथी सदस्य
- परिवार
यहाँ नीचे दी हुई लिंक में जाकर संवेगों और संवेगात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारक आप विस्तार से पढ़ सकते हैं।
• संवेगात्मक विकास का अर्थ एवं परिभाषा, विशेषताएँ तथा प्रभावित करने वाले कारक